हफ्तेभर में 3 देशों से लगती सरहद पर हिंसा, लद्दाख में 5 इलाकों में संचार सेवाएं बंद, पाक की गोलीबारी बढ़ी तो सैन्य टुकड़ियां तैनात

पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में सोमवार को चीन की सेना के साथ झड़प में कम से कम 20 भारतीय सैनिक शहीद हुए हैं। हफ्तेभर में देश की सीमाओं पर मौतें और हिंसा हुई है। संवेदनशील सरहदों पर भी सुरक्षा और चौकसी बढ़ा दी गई। लद्दाख में संचार सेवाएं बंद कर दी गईं। जम्मू-कश्मीर में सैन्य टुकड़ियां बढ़ा दी गई हैं। वहीं, उत्तराखंड-यूपी से लगती सीमा पर भी गश्त बढ़ा दी गई है। पढ़िए सरहदों से रिपोर्ट...

भारत और चीन के बीच ताजा तनाव में गलवान क्षेत्र सबसे ज्यादा चर्चा में हैैं। यहीं पर दोनों देशों के सैनिक आपस में भिड़े थे। लेह से मोरुप स्टेंजिन की रिपोर्ट...

गलवान क्षेत्र लद्दाख के चुसूल काउंसिल के अंतर्गत आता है। लद्दाख ऑटोनोमस हिल डेवलपमेंट काउंसिल में शिक्षा विभाग के एक्जीक्यूटिव काउंसलर स्टैनजिन कॉन्चौक ने बताया कि गलवान क्षेत्र के लोगों की मौजूदा स्थिति के बारे में उन्हें पता नहीं चल सका है। क्योंकि नेटवर्क कनेक्टिविटी बंद कर दी गई है।

संचार सेवा बंद होने से स्थानीय लोग एक-दूसरे से सम्पर्क नहीं कर पा रहे

उन्होंने बताया कि एक-दो दिन में वहां के हालचाल मिल पाएंगे। चीन और भारत की सेनाओं के टकराव के कारण लद्दाख के तांग्से, श्योक, फोब्रांग, मानमेरख और चुसूल जैसे इलाकों में संचार सेवाएं बंद कर दी गई हैं, इससे स्थानीय लोग इन क्षेत्रों में लोगों से संपर्क नहीं कर पा रहे हैं।

इंटेलिजेंस ब्यूरो में काम कर चुके 81 साल के कुंगजंग नांग्याल ने बताया कि तनाव की स्थितियां 1959 से बनती आ रही हैं। 21 अक्टूबर 1959 को वे भी इसी क्षेत्र में पेट्रोलिंग पार्टी का हिस्सा थे, जब चीन की सेना के साथ आमना-सामना हुआ था। उस वक्त 10 पुलिसकर्मी मारे गए थे।

पूरी लद्दाख की गालवन घाटी में चीनी सैनिकों से हुई हिंसक झड़प के बाद भारतीय सैनिकों की तैनाती बढ़ाई जा रही है। वहां जाने से पहले सैनिकों ने बालटाल मेंतैयारी की।

जब तक सीमा की पक्की लकीर नहीं खिंचेगी तब तक तनाव बना रहेगा

इसी घटना को पुलिस कमेमोरेशन डे के तौर पर मनाया जाता है। नांग्याल का मानना है कि ऐसी तनावपूर्ण स्थितियां तब तक बनती रहेंगी, जब तक दोनों देश सीमा की पक्की लकीर न खींच दें। हालांकि गलवान क्षेत्र खतरनाक है, फिर भी दोनों देशों ने इसे प्रतिष्ठा का मामला बना लिया है। राष्ट्रीय सुरक्षा विशेषज्ञ और भूतपूर्व राजदूत पी. स्टॉपडन ने कहा कि चीन की तरफ से यह सीमा संधि का प्रत्यक्ष उल्लंघन है।

अंतरराष्ट्रीय समुदाय की प्रतिक्रिया के बारे में उन्होंने कहा कि रूस तटस्थ रहेगा लेकिन अमेरिका, भारत का पक्ष ले सकता है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों को बातचीत से मसला सुलझाना होगा क्योंकि और कोई विकल्प नहीं है।

जम्मू-कश्मीर: पाक की गोलीबारी बढ़ी, तो सैन्य टुकडि़यां तैनात कीं

भारत और चीन की सीमा पर गतिरोध जारी है, वहीं पाक के साथ लगती करीब 750 किमी की सरहद पर भी तनाव बढ़ गया है। मंगलवार को पाकिस्तान ने मोर्टार और अन्य हथियारों से गोलीबारी करके संघर्ष विराम का उल्लंघन किया। हालांकि, भारतीय सेना ने भी इसका कड़ा जवाब दिया। जम्मू से मोहित कंधारी की रिपोर्ट...

जनवरी से संघर्ष विराम तोड़ने की 2 हजार से ज्यादा घटनाएं

श्रीनगर में सेना के प्रवक्ता कर्नल राजेश कालिया ने बताया कि पाक सेना ने तंगधार सेक्टर में सुबह और करीब 11 बजे पुंछ के शाहपुर इलाके में जमकर गोलीबारी की। सूत्रों के मुताबिक पाक ने कई स्थानों पर मल्टी बैरल गन का भी इस्तेमाल किया। यहां इस साल जनवरी से अब तक संघर्ष विराम तोड़ने की 2040 घटनाएं हो चुकी है।

अकेले जून में 120 बार सीजफायर का उल्लंघन हुआ

अकेले जून महीने में 120 बार विराम तोड़ा गया। संघर्ष विराम तोड़ने के औसतन 8 मामले रोज दर्ज किए गए। पिछले दो हफ्तों से जारी मोर्टार हमले और गोलीबारी के कारण हम अपने तीन सैनिकखो चुके हैं। वहीं, दूसरी ओर सेना ने अलर्ट रहते हुए घुसपैठ की कोशिशों को रोक दिया। पाक की तरफ से लगातार हमलों के कारण लोगों के घरों और पशुधन को भी खासा नुकसान पहुंचा है।

पाकिस्तान से लगे फॉरवर्ड पोस्ट पर सैनिकों की संख्या बढ़ाई गई

इसी को ध्यान में रखते हुए सेना ने अग्रिम मोर्चों पर सैन्य टुकड़ियां तैनात कर दी हैं। उत्तरी कश्मीर के उरी, तंगधार, पीर पंजाल और पुंछ में सेना पाक के मंसूबे नाकाम करने के लिए खड़ी है। बारामूला और कुपवाड़ा में भी पिछले कुछ दिनों से तनाव के हालात हैं।

उरी सेक्टर में पिछले हफ्ते एक आम नागरिक की मौत के बाद दो दर्जन परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। खबर है कि पाकिस्तानी सेना ने भी मोर्चे पर कैलिबर गन तैनात कर दी हैं। पाक ने आम नागरिकों को नुकसान पहुंचाने के लिए मारक क्षमता भी बढ़ाई है। खुफिया एजेंसियों के मुताबिक 250 से ज्यादा आंतकियों को घुसपैठ के लिए सीमा के पास बने लॉन्चपैड पर लाया गया है।

उत्तराखंड: नेलांग, हर्षिल घाटी सीमा पर लड़ाकू विमान उड़ान भर रहे

लद्दाख में भारत-चीन सीमा पर सैन्य झड़प के बाद चीन से लगी उत्तराखंड बॉर्डर पर सैन्य हलचल तेज हो गई हैं। हालांकि, अभी अग्रिम मोर्चों की निगरानी आईटीबीपी कर रही है, पर इसके साथ ही सेना और वायुसेना को भी हाई अलर्ट पर रखा गया है।उत्तराकाशी से एम रियाज हाशमी की रिपोर्ट...

उत्तराखंड से लगी चीन की सीमा पर हवाई निगरानी बढ़ी

यहां की चिन्यालीसौड़ हवाई पट्टी पर एन-32 मालवाहक विमानों की आवाजाही बढ़ गई है। लड़ाकू विमानों आवाज गूंज रही है। उत्तराखंड के उत्तरकाशी, चमोली और पिथौरागढ़ जिलों की सीमाएं चीन से लगती हैं। चीन के सैनिकों ने कई बार चमोली सीमा पर वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) क्रॉस कर चुके हैं, इसलिए सतर्कता बढ़ा दी गई।

वायुसेना हाई अलर्ट पर

चीन से सटी गढ़वाल सीमा के मद्देनजर चिन्यालीसौड़ हवाई पट्टी बेहद अहम है। सीमा से 100 किमी दूर इस स्थान पर पिछले कुछ सालों में भारत ने सामरिक ढांचा मजबूत किया है। स्थानीय भौगोलिक जानकार सुरेश रमोला बताते हैं कि चीन से तनाव के बाद से ही यहां सेना और वायुसेना कई बार युद्धाभ्यास कर चुकी हैं, पर अभी की सक्रियता महत्वपूर्ण दिखती है।

चमोली जिले में बड़ाहोती और माणा पास से लगी चीन सीमा पर भी हाई अलर्ट है। फिलहाल यहां हालात शांतिपूर्ण हैं, पर जवान पहले से ज्यादा सक्रिय नजर आ रहे हैं। अल्मोड़ा के वरिष्ठ पत्रकार प्रेम पुनेठा बताते हैं कि उत्तराखंड से सटी सीमा पर चीन मुश्किलें न खड़ी कर दे, इसलिए सेनाओं को अलर्ट पर रखा गया है।

उत्तरकाशी मेंचीन सीमा पर अस्थायी पुल बनाया गया है।

हर्षिल घाटी में फाइटर प्लेन की हलचल बढ़ी

उत्तरकाशी से 120 किमी दूर नेलांग और 82 किमी दूर हर्षिल की घाटियों में युद्धक विमानों की हलचल बढ़ गई है। मोर्चे पर आईटीबीपी के जवान सतर्क हैं, वहीं सेना भी महज 35 किमी दूरी पर पूरी तरह तैयार नजर आ रही है। स्थानीय लोग बताते हैं कि हिमालय के जिस इलाके में ग्लेशियर हैं, वहां सुखोई विमान उड़ान भर रहे हैं। हालांकि, वायुसेना इसे सामान्य गतिविधियों का हिस्सा बता रही है।

यूपी: सीमा पर लगे पिलर हटाए, नेपाल के लोगों ने किया कब्जा
भारत और नेपाल के बीच गहराते सीमा विवाद के बीच सोमवार को एक कड़ी और जुड़ गई है। उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती लखीमपुर खीरी से लगे बॉर्डर पर नेपाल ने सीमा को दर्शाने वाले कई पिलर रातोरात गायब कर दिए हैं। इसके अलावा उसके नागरिकों ने नोमैंस लैंड के काफी हिस्से पर कब्जा भी कर लिया है।

एसएसबी (सशस्त्र सीमा बल) की 39वीं बटालियन के कमांडेंट ने इसकी जानकारी डीएम और गृह मंत्रालय को दे दी है। सीमा पर नेपाल के कैलाली और कंचनपुर दो जिले पड़ते हैं, जिनकी सीमा लखीमपुर से जुड़ी है। इसका खुलासा 2 जून को एसएसबी कमांडेंट मुन्ना सिंह द्वारा डीएम को लिखे पत्र से हुआ है। इसमें नोमैंस लैंड के पिलर संख्या 742 और 766 पर नेपाली नागरिकों के कब्जे का जिक्र किया गया है।

लखीमपुर खीरी से लगे नेपाल बॉर्डर पर ऐसे पिलर नेपाली लोगों ने हटा दिए हैं।

नेपाल बॉर्डर पर आईबी और पुलिस पैट्रोलिंग बढ़ाई गई

घटना के बाद बॉर्डर पर एसएसबी, आईबी और पुलिस पेट्रोलिंग बढ़ा दी गई है। डीएम शैलेंद्र सिंह के मुताबिक कब्जे की जानकारी सरकार को दे दी है। लॉकडाउन से पहले बॉर्डर पर जॉइंट सर्वे चल रहा था। सीमा में 20 से 25% पिलर गायब हैं। दोनों देशों के उच्चाधिकारी बातचीत से समाधान की कोशिश कर रहे हैं।

कुछ स्थानों पर नेपाली नागरिकों के कब्जे की सूचना

डीएम ने माना कि कुछ जगह पर नेपाली नागरिकों द्वारा कब्जे की सूचना मिली है। कुछ स्थानों पर भारतीय नागरिक भी आगे बढ़े हैं। एक सामान्य प्रक्रिया के तहत दोनों देशों की टीमें विवाद सुलझा लेती हैं। जल्द ही नए पिलर लगा दिए जाएंगे।

39वीं बटालियन लखीमपुर खीरी में 62.9 किमी के बॉर्डर एरिया कवर करती है। कमांडेंट ने कहा कि नेपाल के लेखपालों ने नो मेन्स लैंड में लोगों को जमीन अलॉट की है। कुछ केसों में तो बॉर्डर के पार भी जमीनें दी गई हैं। यह प्रशासनिक गलती से हो सकता है। इसीलिए हमने डीएम को अवगत कराया है। नेपाल ने इन जगहों पर पांच नए बॉर्डर आउटपोस्ट भी बना लिए हैं।



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खुफिया एजेंसियों के मुताबिक 250 से ज्यादा आंतकियों को घुसपैठ के लिए सीमा के पास बने लॉन्चपैड पर लाया गया है। इसके बाद से पुंछ और बाकी इलाको में गश्त बढ़ा दी गई है।


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