बकाया लोन न चुका पाने के कारण बिक सकती हैं दर्जनों माइक्रोफाइनेंस कंपनियां, 5000 करोड़ रुपए का लोन बना मुसीबत

माइक्रोफाइनेंस सेक्टर कंसोलिडेशन की ओर है। इससे करीब एक दर्जन कंपनियां बिक सकती हैं। कारण यह कि इन पर भारी-भरकम लोन बाकी है। जिसे ये नहीं दे पा रही हैं। कोविड-19 की वजह से इन कंपनियों का बिजनेस पूरी तरह से ठप हो गया है। इन कंपनियों पर कुल 5,000 करोड़ रुपए का लोन बकाया है।

प्रत्येक एमएफआई पर करीब 200 करोड़ का कर्ज है

जानकारी के मुताबिक एक माइक्रोफाइनेंस (एमएफआई) कंपनी पर करीबन 200 करोड़ रुपए का बकाया है। बकाया इसलिए है क्योंकि कोविड-19 के लॉकडाउन ने बिजनेस साइकल को अस्थिर कर दिया है। कंपनियों को बढ़ते आर्थिक तनाव का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे कम से कम तीन कंपनियों के सीईओ ने इस बात को माना है। एमएफआई एसोसिएशन सा-धन ने लगभग 25 ऐसी कंपनियों की पहचान की जिनका कोविड-19 के प्रकोप से पहले भी कोई प्रॉफिट मार्जिन नहीं था।

मोराटोरियम से स्थिति और बेकार हुई

भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा मोराटोरियम 3 महीने से बढ़ाकर 30 अगस्त करने के बाद उनकी स्थिति और बदतर हो गई। इनमें से कई फर्म ऐसी ही संभावनाएं तलाश रही हैं। सा-धन के कार्यकारी निदेशक पी सतीश ने कहा कि छोटी कंपनियों को पूंजी औरलिक्विडिटी की अधिक कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। हमने मर्ज के लिए तीन या चार एमएफआई के एक साथ आने की संभावना पर विचार शुरू किया है।एसोसिएशन इस मामले में प्रोफेशनल लोगों से सलाह लेने की योजना बना रहा है। आनेवाले दिनों में प्रोफेशनल लोगों की नियुक्ति की जाएगी।

96 एमएफआई हैं जिन पर 5,000 करोड़ रुपए का लोन है

200 करोड़ रुपए से कम के लोन में 96 एमएफआई हैं। इनके पास लगभग 5,000 करोड़ रुपए का कुल लोन पोर्टफोलियो है। लगभग 25 लाख गरीब महिलाओं की जरूरतों को ये एमएफआई पूरा करते हैं। एक माइक्रोफाइनेंस कंपनी के एमडी ने कहा कि कंसोलिडेशन होना स्वाभाविक है। लेकिन इस समय खरीदार मिलना मुश्किल है। सा-धन ने अपने सदस्यों के लिए बैंकों से आपातकालीन क्रेडिट लाइन के रूप में 8,700 करोड़ रुपए की मांग की है। इसमें विशेष रूप से छोटे और मध्य आकार के एमएफआई के लिए 450 करोड़ रुपए की सुविधा शामिल है।

लॉकडाउन में ढील से कैशफ्लो में हुआ सुधार

लॉकडाउन में ढील दिए जाने से एमएफआई के कैशफ्लो में सुधार हुआ है। लगभग आधे उधारकर्ताओं ने अपने पिछले बकाए को देना शुरू कर दिया है । हालांकि कई छोटी कंपनियों के लिए यह पर्याप्त नहीं है। क्योंकि उन्हें बैंकों और अन्य संस्थानों जैसे सिडबी से कोई मदद नहीं मिली है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को लिखे पत्र में सा-धन ने कंसोलिडेशन को देखते हुए एमएफआई के लिए एक हजार करोड़ रुपए की अतिरिक्त मांग की है।

छोटे और मझोले एमएफआई पर लिक्विडिटी और दिवाला (insolvancy) का असर भी उधारकर्ताओं पर विपरीत प्रभाव डाल सकता है क्योंकि उन्हें इस महत्वपूर्ण मोड़ पर क्रेडिट मिलनी मुश्किल हो सकती है।



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लगभग 25 लाख गरीब महिलाओं की जरूरतों को ये एमएफआई पूरा करते हैं


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