हमारी सड़क पूरी होते ही चीन को ज्यादा जवान तैनात करने पड़ेंगे, इसीलिए ये बौखलाहट

चीन से हमारे वर्तमान विवाद के केंद्र में दरबूक-श्योक-दौलत बेग ओल्डी रोड है। सियाचिन और दौलत बेग ओल्डी (डीबीओ) काराकोरम रेंज का हिस्सा हैं। काराकोरम रेंज में नियंत्रण मजबूत करने के लिए हमें डीबीओ पर भी होल्ड बढ़ाना होगा। सियाचिन के लिए सड़क है। बेस कैंप तक हमारी पहुंच भी है। लेकिन डीबीओ तक पहुंचने के लिए हमारे पास सड़क नहीं थी।

हम चाहते हैं कि वहां कम से एक ब्रिगेड का सेक्टर तैनात हो। सड़क के बनने से यह संभव है। हम ऐसा करते हैं तो चीन को हमारे जवाब में या हमें परेशान करने के लिएइस इलाके में कम से कम एक डिविजन तैनात करनी पड़ेगी। यानी हमसे ज्यादा। हम इस इलाके में मजबूत हो रहे हैं, इसीलिए चीन बौखलाया हुआ है।

अभी यहां पर लद्दाख स्काउट्स और इंडो-तिब्बत बॉर्डर पुलिस के जवान तैनात हैं। अगर हमें डीबीओ में बड़ी संख्या में फौज डिप्लॉय करना हो तो यह बिना सड़क, लॉजिस्टिक के नहीं हो सकता।

3 कारण

जानिए क्यों हमारे लिए बेहद जरूरी है ये सड़क

नियंत्रण
चीन को हमारी जिस सड़क से आपत्ति है, वह सड़क लेह को दौलत बेग ओल्डी (डीबीओ) से जोड़ती है। जो सामरिक रूप से काफी महत्वपूर्ण है। इससे काराकोरम रेंज पर हम मजबूत होते हैं। यहां हमारी नियंत्रण करने की क्षमता बढ़ेगी। दौलत बेग ओल्डी लद्दाख का सबसे उत्तरी कोना है। जिसे सैन्य भाषा में सब-सेक्टर नॉर्थ भी कहते हैं।

अक्साई चिन के पास एलएसी से दौलत बेग ओल्डी 10 किलोमीटर से भी कम दूरी पर है। इस इलाके में सड़क होने से हम एलएसी के काफी करीब अपनी गतिविधियां बढ़ा पाएंगे। इस पूरे इलाके में हमारी निगरानी भी मजबूत होगी।

आपूर्ति
डीबीओ में ही दुनिया की सबसे ऊंची एयर स्ट्रिप है। इसके रख- रखाव, फ्यूल, जहाजों के स्पेयर और अन्य तरह की जरूरी चीजों की सप्लाई सिर्फ जहाज से मुमकिन नहीं है। सड़क के कारण यह आसान होगा। युद्ध की स्थिति में भी सड़क की बहुत जरूरत होगी।

यातायात
यह सड़क ऑल वेदर रोड है। इस पर सेना ने 37 प्री फैब्रीकेटेड और आरसीसी के पुल बनाए हैं। यह आवागमन के लिए बेहद सुविधाजनक है। पहले यह इलाका श्योक नदी में बाढ़ के कारण आने-जाने लायक नहीं रहा करता था।

सड़क की ऊंचाई बहुत ज्यादा है। यह अगल-अलग जगह 13 हजार फीट से लेकर 16 हजार फीट तक ऊंची है। इसे बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन (बीआरओ) बना रहा है।

एक्सपर्ट: लेफ्टिनेंट जनरल सैयद अता हसनैन (सेवानिवृत्त) से बातचीत पर आधारित।



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Martyr's wife said- If the Indian army takes revenge from China, the decision has to be taken by the government.


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