भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने निजी बैंकों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों (सीईओ) के कार्यकाल को सीमित करने का प्रस्ताव रखा है। यह प्रस्ताव अगर नियम बन जाता है तो लंबे समय तक एमडी रहने का रिकॉर्ड आदित्य पुरी के नाम होगा। आदित्य पुरी इस समय एचडीएफसी बैंक में हैं।
पुरी के बाद उदय कोटक लंबे समय से हैं एमडी
आदित्य पुरी 1994 से एचडीएफसी बैंक के सीईओ के तौर पर काम कर रहे हैं। उन्होंने 26 साल पूरे कर लिए हैं। पुरी का कार्यकाल अक्टूबर में खत्म हो रहा है। बैंक को अभी नए सीईओ को भी चुनना है। पुरी का रिकॉर्ड तोड़ने के सबसे नजदीकी दावेदारों में कोटक महिंद्रा बैंक के प्रमोटर और सीईओ उदय कोटक हैं। वे 17 साल से एमडी एवं सीईओ हैं। वे बैंक के ऑपरेशन के ही समय यानी 2003-2004 से कोटक महिंद्रा बैंक के मुख्य कार्यकारी हैं।
आरबीआई के प्रस्ताव में अब 10 साल से ज्यादा नहीं रह सकते हैं एमडी
आरबीआई ने ऐसा प्रस्ताव रखा है कि अगर व्यक्ति प्रमोटर्स समूह का है तो 10 साल एमडी एंड सीईओ रह सकता है। अगर वह प्रमोटर्स समूह से नहीं है तो 15 साल तक इस पद पर रह सकता है।आरबीआई ने कहा कि वह अच्छे बैंकिंग गवर्नेंस के लिए एक मजबूत कल्चर का निर्माण करना चाहता है। बैंकों के पेशेवर प्रबंधन और प्रबंधन से मालिकाना अधिकार को अलग करने के सिद्धांत को अपनाने के लिए एमडी एंड सीईओ के कार्यकाल को सीमित करना जरूरी है।
अधिकतम उम्रभी 70 साल तक रहेगी
आरबीआई ने इसी तरह बैंकों के सीईओ के लिए अधिकतम आयु सीमा 70 साल करने का प्रस्ताव किया है। अगर ऐसा होता है तो उदय कोटक 9 साल और वर्तमान पद पर रह सकते हैं। वे अभी 61 साल के हैं। इसका मतलब यह होगा कि कोटक सीईओ के रूप में पुरी के कार्यकाल की बराबरी करेंगे या रिकॉर्ड को तोड़ देंगे। केरल स्थित फेडरल बैंक के एमडी और सीईओ श्याम श्रीनिवासन और आरबीएल बैंक के एमडी और सीईओ विश्ववीर आहूजा दोनों के पास 2025 तक का समय होगा क्योंकि दोनों ने दस साल पूरा किए हैं।
नया सीईओ खोजने के लिए दो साल का समय मिलेगा
इसी तरह बंधन बैंक के चंद्रशेखर घोष ने सीईओ के रूप में पांच साल पूरे कर लिए हैं। उनका कार्यकाल खत्म होने से पहले उनके पास दस साल और होंगे। आरबीआई के प्रस्ताव में यह भी है कि बैंक का नया सीईओ खोजने के लिए दो साल दिया जाएगा। इसमें वर्तमान सीईओ का कार्यकाल समाप्त हो तो भी या न हो तो भी, दोनों स्थितियों में उन्हें दो साल और मिल सकता है। इससे पहले 2020 में उदय कोटक और आरबीआई के बीच बैंक में कोटक की प्रमोटर हिस्सेदारी घटाने को लेकर अदालती लड़ाई चल रही थी।
कोटक को हिस्सेदारी घटाने के लिए आरबीआई ने दिया था समय
आरबीआई के नियमों के अनुसार कोटक को 31 दिसंबर 2018 से पहले प्रमोटर हिस्सेदारी 30 प्रतिशत से नीचे लाकर लगभग 26 प्रतिशत तक कम करनी पड़ेगी। हालांकि कोर्ट में लड़ाई के बाद हाल ही में उदय कोटक ने आरबीआई के नियमों के मुताबिक अपनी हिस्सेदारी कर दी। जनवरी में आरबीआई ने कोटक महिंद्रा बैंक को कुछ राइडर्स के साथ 26 प्रतिशत प्रमोटर हिस्सेदारी बरकरार रखने दी थी। जून में कोटक ने एक ब्लॉक डील में 6,900 करोड़ रुपए से अधिक के 5.6 करोड़ शेयर बेचे जिससे उनकी हिस्सेदारी घटकर 26.1 प्रतिशत रह गई। यह आरबीआई के तय नियमों के करीब पहुंच गई।
कोर्ट के बाहर हुआ आरबीआई और कोटक का सेटलमेंट
हालांकि यह मामला कोर्ट के बाहर सेटलेमेंट हुआ। इसे कुछ ने कोटक के लिए एक जीत के रूप में देखा। यह भी सही है कि आरबीआई के प्रस्तावित नए सीईओ-टर्म नियमों के तहत कोटक सबसे ज्यादा प्रभावित निजी बैंक प्रमोटर हैं। आरबीआई ने निजी बैंकों के ओनरशिप और नियंत्रण की समीक्षा के लिए एक आंतरिक समूह का गठन किया है। संभावना है कि आरबीआई समूह प्रमोटर होल्डिंग पर फिर से विचार करेगा। इसका अर्थ है कि मौजूदा प्रमोटर्स को संबंधित बैंकों में अपनी होल्डिंग्स को फिर से बदलना पड़ेगा।
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