हर भारतीय की मेंटल हेल्थ पर सालाना 4 रु. का खर्च; दुनियाभर में 26 करोड़ लोग डिप्रेशन में, इससे वर्ल्ड इकोनॉमी को हर साल 75 लाख करोड़ का नुकसान

बॉलीवुड एक्टर सुशांत सिंह राजपूत अब इस दुनिया में नहीं हैं। रविवार को उन्होंने मुंबई स्थित अपने घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी आत्महत्या की पुष्टि हो चुकी है। लेकिन, उन्होंने खुदकुशीक्यों की? इसका कारण अभी पता नहीं चल सका है।

सुशांत की आत्महत्या की खबर आने के बाद सोशल मीडिया पर मेंटल हेल्थ को लेकर चर्चा भी होने लगी हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि, सुशांत पिछले 6 महीने से डिप्रेशन में थे और अपना इलाज करवा रहे थे।

भारत में 19 करोड़ लोग मानसिक बीमारी से जूझ रहे

हमेशा से ही मेंटल हेल्थ बहुत गंभीर विषय रहा है, लेकिन इस पर कभी उतना खास ध्यान नहीं दिया गया। पिछले साल दिसंबर में साइंस जर्नल द लैंसेट की एक रिपोर्ट आई थी। इस रिपोर्ट के मुताबिक, देश में 2017 तक 19.73 करोड़ लोग (कुल आबादी का 15%) किसी न किसी मानसिक बीमारी से जूझ रहे थे। यानी, हर 7 में से 1 भारतीय बीमार है। इनमें से भी 4.57 करोड़ डिप्रेशन और 4.49 करोड़ एंजाइटी का शिकार हैं।

मानसिक बीमारी से तंग आकर हर साल 8 लाख लोग आत्महत्या कर लेते हैं
डब्ल्यूएचओ के आंकड़े बताते हैं कि हर साल 8 लाख लोग मानसिक बीमारी से तंग आकर आत्महत्या कर लेते हैं। इसके अलावा हजारों लोग ऐसे भी होते हैं, जो आत्महत्या की कोशिश करते हैं।

आत्महत्या की सबसे बड़ी वजह डिप्रेशन

आत्महत्या की सबसे बड़ी वजह डिप्रेशन और एंजाइटी है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, दुनियाभर में 26 करोड़ से ज्यादा लोग डिप्रेशन से जूझ रहे हैं। 15 से 29 साल की उम्र के लोगों में आत्महत्या की दूसरी सबसे बड़ी वजह डिप्रेशन ही है।

भारत में इसके आंकड़े और भी चौंकाने वाले हैं। डब्ल्यूएचओ के मुताबिकभारत में हर साल एक लाख लोगों में से 16.3 लोग मानसिक बीमारी से लड़ते-लड़ते आत्महत्या कर लेते हैं। इस मामले में भारत, रूस के बाद दूसरे नंबर पर है। रूस में हर 1 लाख लोगों में से 26.5 लोग सुसाइड करते हैं।

वहीं, नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो यानी एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक, 2013 से लेकर 2018 के बीच 52 हजार 526 लोगों ने मानसिक बीमारी से तंग आकर आत्महत्या कर ली।


डिप्रेशन की वजह से वर्ल्ड इकोनॉमी को हर साल 75 लाख करोड़ का नुकसान
मानसिक बीमारी का असर न सिर्फ हमारे अपने जीवन पर बल्कि हमारे काम, हमारे दोस्त-रिश्तेदारों से संबंध, हमारे सामाजिक जीवन पर भी पड़ता है। डिप्रेशन और एंजाइटी (चिंता) दो बड़े रोग हैं, जिससे सबसे ज्यादा लोग पीड़ित हैं।

डब्ल्यूएचओ की मानें तो डिप्रेशन और एंजाइटी की वजह से हर साल वर्ल्ड इकोनॉमी को 1 ट्रिलियन डॉलर यानी 75 लाख करोड़ रुपए का नुकसान होता है। इसके बावजूद, दुनियाभर की सरकारें मेंटल हेल्थ पर अपने हेल्थ बजट का 2% से भी कम खर्च करती है।

हमारे देश में मेंटल हेल्थ को लेकर क्या व्यवस्था?
1) खर्च :
2018-19 के बजट में मेंटल हेल्थ को लेकर 50 करोड़ रुपए रखे थे। 2019-20 में घटकर 40 करोड़ रुपए हो गए। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, 2017 में हर भारतीय की मेंटल हेल्थ पर सालभर में सिर्फ 4 रुपए खर्च होते थे।
2) हेल्थ प्रोफेशनल : नेशनल मेंटल हेल्थ सर्वे 2015-16 के मुताबिक, देश में 9 हजार साइकेट्रिस्ट हैं जबकि, हर साल करीब 700 साइकेट्रिस्ट ग्रेजुएट होते हैं। हमारे देश में हर 1 लाख आबादी पर सिर्फ 0.75 साइकेट्रिस्ट है, जबकि इतनी आबादी पर कम से कम 3 साइकेट्रिस्ट होना चाहिए। इस हिसाब से देश में 36 हजार साइकेट्रिस्ट होना चाहिए।
3) अस्पताल बेड : हमारे देश में न सिर्फ साइकेट्रिस्ट बल्कि बेड की भी कमी है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, 2017 में देश के मेंटल अस्पतालों में हर 1 लाख आबादी पर 1.4 बेड थे, जबकि हर साल 7 मरीज भर्ती होते थे। जबकि, सामान्य अस्पतालों में हर एक लाख आबादी पर 0.6 बेड हैं और इनमें हर साल 4 से ज्यादा मरीज आते हैं।

महंगा इलाज और मजाक उड़ने का डर; नतीजा- लोग इलाज ही नहीं करवाते
हमारे देश में अगर कोई मेंटल हेल्थ से चुपचाप जूझता है, तो उसके दो कारण हैं। पहला महंगा इलाजऔर दूसरा मजाक उड़ना।

एक अनुमान के मुताबिक, अगर आप डिप्रेशन से जूझ रहे हैं, तो साइकेट्रिस्ट के हर सेशन के लिए 1 हजार से 5 हजार रुपए तक चुकाने पड़ते हैं। हर महीने कम से कम ऐसे तीन सेशन होते हैं। सेशन के खर्च के अलावा दवाइयों का खर्च भी बहुत होता है। वहीं, एंजाइटी के लिए भी हर सेशन के लिए 3 हजार रुपए की फीस लगती है।

कॉर्पोरेट में काम करने वाले 42.5% कर्मचारी डिप्रेशन-एंजाइटी से जूझ रहे
2015 में एसोसिएट चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया (एसोचैम) ने कॉर्पोरेट कर्मचारियों पर एक सर्वे किया था। इस सर्वे में शामिल 42.5% कर्मचारियों ने डिप्रेशन या एंजाइटी से जूझने की बात मानी थी। इतना ही नहीं, 38.5% कर्मचारी रोज 6 घंटे से भी कम नींद लेते हैं।

डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, कर्मचारियों में डिप्रेशन और एंजाइटी की वजह से देश की इकोनॉमी को 2012 से लेकर 2030 के बीच 1 ट्रिलियन डॉलर (आज के हिसाब से 75 लाख करोड़ रुपए) का नुकसान उठाना पड़ सकता है।

ये भी पढ़ें : कैसे हेल्दी बनेगा इंडिया / 10 साल में स्वास्थ्य बजट 175% और हर आदमी के स्वास्थ्य पर सरकारी खर्च 166% बढ़ा, फिर भी 2.5 लाख ने बीमारी से तंग आकर खुदकुशी की



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
Mental Illness/Sushant Singh Rajput Depression Death Update | 26 Crore Of the World People Live With Depression


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2YEbZHR

Post a Comment

أحدث أقدم