अमेरिकी शोधकर्ताओं ने ऐसे स्पंज कण (नैनोस्पंज) तैयारकिए हैं, जो फेफड़ों और इम्यून सेल्सको ढंकते हैं। ये कण इंसानी बालों की चौड़ाई से 30 गुना महीनहैंऔरकोरोनावायरस को अपनी ओर आकर्षित करके खींच लेतेहैं। नैनोस्पंज कोरोनावायरस और उसके जहरीले तत्व को सोखता है। रिसर्च करने वाली कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का कहना है कि ये कण कोविड-19 से बचाने के लिए थेरेपी की तरह काम कर सकते हैं।
वायरस को90%तक कमजोर बना देता है
शोधकर्ताओं का कहना है कि रिसर्च में सामने आया है कि नैनोस्पंज ने कोरोनावायरस को न्यूट्रिलाइज किया। ऐसा करने पर वायरस इंसानी कोशिकाओं को संक्रमित नहीं कर पाया। इसे लैब में तैयार किया गया है, जो फेफड़े और इम्यून सिस्टम की कोशिकाओं के साथ मिलकर बनाया गया है। रिसर्च के दौरान सामने आया कि यह 90%तक वायरस के संक्रमण करने की क्षमता को कमजोर कर देता है।
वैज्ञानिकों ने कोरोना के टारगेटको समझ लिया
शोधकर्ता और नैनो इंजीनियरिंग विशेषज्ञ लियानफैंग झैंग का कहना है कि आमतौर पर दवा विकसित करने वाले वैज्ञानिक वायरस के उस टारगेटको ढूंढते हैं, जहां ड्रग असर कर सके। लेकिन हमारा तरीका अलग है। हमे सिर्फ यह पता लगाया कि कोरोना किस कोशिका को संक्रमण के लिए टारगेटकरता है। उसी कोशिका को सुरक्षित करके लिए हमने काम किया।
नैनोस्पंज सायटोकाइन स्टॉर्म को भी कंट्रोल करता है
शोधकर्ताओं के मुताबिक, नैनोस्पंज को इस तरह विकसित किया गया है कि ये हमारी स्वस्थ कोशिकाओं को नुकसान नहीं पहुंचाता। यह उनकी रक्षा करता है जिसे वायरस संक्रमित करता है।
कोरोना के कुछ मरीजों में शरीर को बचाने वाला इम्यून सिस्टम उल्टा काम करने लगता है और नुकसान पहुंचाता है, इस स्थिति को सायटोकाइन स्टॉर्म कहते हैं। जो मौत का खतरा बढ़ाता है। शरीर को नुकसान पहुंचाने वाली ऐसी इम्यून कोशिकाओं को भी यह स्पंज खुद में सोख कर खत्म करता है।
अलग-अलग क्षमता वाले नैनोस्पंज बनाए गए
शोधकर्ताओं के मुताबिक, नैनोस्पंज के चारों ओरपॉलिमर की कवरिंग है, जिसे फेफड़ों की बाहरी कोशिकाओं की मदद से बनाया गया है। शोधकर्ताओं ने अलग-अलग क्षमता वाले नैनोस्पंज तैयार किए हैं, जिसकी टेस्टिंग सॉल्यूशन में मौजूद कोरोनावायरस पर की गई है।
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